इस तस्वीर को गौर से देखिए। आपको क्या दिख रहा है? बहुत सारे कपड़े दिख रहे हैं न
। वो भी बच्चों के कपड़े हैं। अरे! नहीं जनाब। जो मैं आपको दिखाना चाह रहा हूं उसे देखिए। इधर-उधर मत झांकिए। अब शायद आपकी नजर उस संदेश तक पहुंच गई होगी, जिसे मैं आपको दिखाना चाह रहा हूं। अब उस मैसेज को धीरे-धीरे पढ़िए। सब माजरा समझ में आ जाएगा। क्या लिख है उसमें। आप भी पढ़िए...'पत्नी से डर लगता है तो फोटो ले सकते हैं'।
कपड़े की दुकान में लगा यह संदेश बहुत कुछ कह रहा है। इसके मायने क्या है? खैर जो भी हो, लेकिन इसमें सच्चाई कितनी है। इसका आकलन करना होगा। यह तस्वीर राजधानी दिल्ली के पालिका बाजार की है। यहां आपको जरूरत की हर चीजें मिल जाएंगी। अगर मोलभाव करने में माहिर हैं तो सस्ते दामों पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से लेकर सूई तक आपको मिल जाएगी। अगर इस कला में निपुण नहीं हैं तो जेब कटते देर भी नहीं लगेगी। यहां रोजाना रेलमपेल भीड़ रहती है। यहां जाने पर हर दुकानदार आपको आवाज देकर बुलाएंगे। जाना और न जाना आपकी मर्जी है।
छुट्टी का दिन था। कुछ दोस्तों से मिलना था सो मिलने का स्थान तय हुआ कनाट प्लेस। तय समय पर पहुंचा। वर्षों से बिछड़े दोस्तों से मुलाकात हुई। खाने-पीने के साथ बहुत सारी बातें हुईं। कुछ पुरानी और कुछ नई। इस दौरान कुछ दोस्तों ने कहा कि चलो पालिका बाजार चलते हैं। बहुत हो गया। दिल्ली से जाने के बाद पहली बार यहां जा रहा हूं। अंदर हम सब घूम रहे थे और हर चीज पर बारीकी से नजर दौड़ा रहे थे। तभी एक दुकान पर सबकी नजरें टिकीं। जहां यह संदेश लिखा था 'पत्नी से डर लगता है तो फोटो ले सकते हैं'।
संदेश लिखने का दुकानदार का मकसद क्या है। क्या वाकई में लोग अपनी धर्मपत्नी से डरते हैं या फिर बहुत सारे कपड़े देखने के बाद भी खरीदने का मन न हो तो पत्नी का बहाना बनाकर दुकान से चलते बनते हैं। मुझे यही वाजिब कारण लग रहा है। क्योंकि इस स्थिति से आजिज आकर दुकानदार इसका काट निकाला होगा। काट भी ऐसा जबरदस्त कि इसे पढ़ते ही हंसी आ जाए। इसके बाद तो ग्राहक कोई बहाना भी नहीं बना पाएगा।
क्या वाकई में इस तरह के लोगा हैं, जो कपड़े तो देख लेते हैं, लेकिन जब खरीदने की बारी आती है तो कोई न कोई बहाना बनाकर वहां फुट लेते हैं। अगर उन्हें ऐसा ही करना है तो मॉल में इस तरह के कई विकल्प मौजूद हैं। ग्राहक वहां क्यों नहीं जाते हैं। मॉल में तो कपड़े खरीदने की जबरदस्ती तो नहीं रहेगी।
अंत में पत्नी को बदनाम करने की दुकानदार की शातिराना चाल तो नहीं। हो सकता है मजे लेने के लिए वो इस तरह संदेश अपनी दुकान में लगा दिया हो। या फिर शोहरत पाने के लिए वह इस तरह का तरीका अपनाया हो। अगर ऐसे किसी काम के लिए उसने ऐसा किया है तो उस दुकानदार का विरोध होना चाहिए। वो भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? ताकि उसे भी पता चले कि उसने किस से पंग लिया!!!
। वो भी बच्चों के कपड़े हैं। अरे! नहीं जनाब। जो मैं आपको दिखाना चाह रहा हूं उसे देखिए। इधर-उधर मत झांकिए। अब शायद आपकी नजर उस संदेश तक पहुंच गई होगी, जिसे मैं आपको दिखाना चाह रहा हूं। अब उस मैसेज को धीरे-धीरे पढ़िए। सब माजरा समझ में आ जाएगा। क्या लिख है उसमें। आप भी पढ़िए...'पत्नी से डर लगता है तो फोटो ले सकते हैं'।
कपड़े की दुकान में लगा यह संदेश बहुत कुछ कह रहा है। इसके मायने क्या है? खैर जो भी हो, लेकिन इसमें सच्चाई कितनी है। इसका आकलन करना होगा। यह तस्वीर राजधानी दिल्ली के पालिका बाजार की है। यहां आपको जरूरत की हर चीजें मिल जाएंगी। अगर मोलभाव करने में माहिर हैं तो सस्ते दामों पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से लेकर सूई तक आपको मिल जाएगी। अगर इस कला में निपुण नहीं हैं तो जेब कटते देर भी नहीं लगेगी। यहां रोजाना रेलमपेल भीड़ रहती है। यहां जाने पर हर दुकानदार आपको आवाज देकर बुलाएंगे। जाना और न जाना आपकी मर्जी है।
छुट्टी का दिन था। कुछ दोस्तों से मिलना था सो मिलने का स्थान तय हुआ कनाट प्लेस। तय समय पर पहुंचा। वर्षों से बिछड़े दोस्तों से मुलाकात हुई। खाने-पीने के साथ बहुत सारी बातें हुईं। कुछ पुरानी और कुछ नई। इस दौरान कुछ दोस्तों ने कहा कि चलो पालिका बाजार चलते हैं। बहुत हो गया। दिल्ली से जाने के बाद पहली बार यहां जा रहा हूं। अंदर हम सब घूम रहे थे और हर चीज पर बारीकी से नजर दौड़ा रहे थे। तभी एक दुकान पर सबकी नजरें टिकीं। जहां यह संदेश लिखा था 'पत्नी से डर लगता है तो फोटो ले सकते हैं'।
संदेश लिखने का दुकानदार का मकसद क्या है। क्या वाकई में लोग अपनी धर्मपत्नी से डरते हैं या फिर बहुत सारे कपड़े देखने के बाद भी खरीदने का मन न हो तो पत्नी का बहाना बनाकर दुकान से चलते बनते हैं। मुझे यही वाजिब कारण लग रहा है। क्योंकि इस स्थिति से आजिज आकर दुकानदार इसका काट निकाला होगा। काट भी ऐसा जबरदस्त कि इसे पढ़ते ही हंसी आ जाए। इसके बाद तो ग्राहक कोई बहाना भी नहीं बना पाएगा।
क्या वाकई में इस तरह के लोगा हैं, जो कपड़े तो देख लेते हैं, लेकिन जब खरीदने की बारी आती है तो कोई न कोई बहाना बनाकर वहां फुट लेते हैं। अगर उन्हें ऐसा ही करना है तो मॉल में इस तरह के कई विकल्प मौजूद हैं। ग्राहक वहां क्यों नहीं जाते हैं। मॉल में तो कपड़े खरीदने की जबरदस्ती तो नहीं रहेगी।
अंत में पत्नी को बदनाम करने की दुकानदार की शातिराना चाल तो नहीं। हो सकता है मजे लेने के लिए वो इस तरह संदेश अपनी दुकान में लगा दिया हो। या फिर शोहरत पाने के लिए वह इस तरह का तरीका अपनाया हो। अगर ऐसे किसी काम के लिए उसने ऐसा किया है तो उस दुकानदार का विरोध होना चाहिए। वो भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? ताकि उसे भी पता चले कि उसने किस से पंग लिया!!!